नारी सशक्तिकरण
आज हमारे यहाँ से एक रिश्तेदार के यहाँ शगुन जाना था। मेरी माँ ने कहा कि लिफ़ाफ़े के ऊपर मैं अपना नाम लिख दूँ क्योंकि मेरे घर में मैं ही एकमात्र पुरुष सदस्य हूँ, और पारम्परिक रूप से इन सामाजिक अवसरों पर पुरूष सदस्यों के नामों को ही महत्त्व दिया जाता है। लेकिन मैंने माँ का नाम लिखा। मेरी नज़र में यह भी नारी सशक्तिकरण का एक रूप है।

एक शिक्षक के रूप में मैंने यह देखा है कि बड़े बड़े विश्विद्यालयों में शिक्षक और विद्यार्थी नारीवाद पर लंबे चौड़े सिद्धांतों पर चर्चा करते रहते हैं; लेकिन, इन सिद्धांतों के व्यवहारिक पक्ष को बिल्कुल भूल जाते हैं।

समाज में बदलाव बहुत छोटी छोटी चीज़ों से भी आ सकता है।